आज कल मैं दो-तीन किताबें एक साथ पढ़ रहा हूँ। किताब यदि आनन्द के लिए पढ़ना है तो ये तरीका काफी अच्छा है। इससे पढ़ने की गति ,रोचकता एवं और जानने की इच्छा बनी रहती है। इसमें एक पुस्तक मार्मिक रूप में लिखी घटना वृतान्त है जिसे नोबेल पुरस्कृत कैलाश सत्यार्थी जी ने अपने काम एवं बाल श्रम से झुझते एवं विजयी होते बच्चे को मध्य में रख कर लिखी है। हर पात्र ऊर्जा देता है और अंधेर शहर को पहली किरण सा जगाता प्रतीत होता है।
इसके घटनाक्रम बहुत हद तक दिल को पसीजने वाले हैं। हर घटना आपको भावुक कर देती है। इसलिए इसके साथ-साथ मैंने चुनी एक और किताब जो की मैंने पहली बार जब पढ़ी तो सिर्फ पढ़ ली थी पर समझ नहीं पाया था। ये पुष्तक है देश के पहले प्रधानमंत्री की लिखी "भारत की खोज "- "The discovery of India" इस पुस्तक को में अंग्रेजी संस्करण में पढ़ रहा हूँ क्यूंकि ये अंग्रेजी में ही लिखी गयी थी। पाठक को हमेशा ये कोशिश करनी चाहिए कि पुस्तक को उसके मूल रूप से लिखी भाषा में ही पढ़ा जाए। चुकी मुझे अंग्रेजी में पढ़कर समझनेमें अब कोई खास दिक्कत नहीं होती तो ऐसा करना मेरे लिए सरल था । पहली किताब का नाम बताना तो मैं भूल ही गया - वो है कैलाश सत्यार्थी की लिखी पुस्तक " तुम पहले क्यों नहीं आए " इसे आप जरूर पढ़ें। खासकर की तब, जब आप अपने अंदर की इंसानियत को फिर से अपनी पूरी सम्पूर्णता में पाना एवं महसूस करना चाहते है। कई बार समाजिक काम करते करते बहुत सी चीजे बस एक प्रक्रिया लगने लगती है। इसे प्रक्रिया से अतरिक्त देख पाना कठिन होने लगता है। अपनी इंसानियत को संजो पाना मुश्किल हो जाता। ऐसे समय इन बच्चों की घटनाये आपको पुनः जीवित कर देंगी। प्रक्रिया को जीवन से जोड़ पाना कुछ सरल हो जायेगा एवं अपने काम के प्रति निष्ठा पहले से और संगठित हो पाएगी।
साथ ही मैंने एक और पुस्तक पढ़ना सुरु कर दिया है क्यूंकि पहली वाली बिल्कुल ख़त्म सी हो चली थी। ये पुस्तक थी "पैराडाइस इन वॉर"। राधा कुमार की लिखी इस पुस्तक की शुरुआत ही बहुत रोचक एवं कश्मीर के ऐतिहासिक, पौराणिक कथा से होती है। कश्मीर का वर्णन वेद में कहाँ मिलता है , कश्मीर के बनने की क्या कहानी है एवं कनिष्क एवं अशोक के समय कश्मीर के क्या वर्णन है , मोरक्को से आये अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में जो लिखा क्या वो वास्तव में कश्मीर की सच्चाई थी। राजा रंजीत सिंह के समय का कश्मीर सभी बाहरी लोगों के स्वागत हेतु कितना खुला या बन्द था। मुग़ल एवं उसके बाद डोगरा राजाओं ने कैसे कश्मीर को अपनी सबसे कीमती विरासत के रूप में पाया। आजादी के पहले तक कश्मीर अपने प्राकृतिक विरासत से साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं स्थानीय बौद्धिकता के लिए जाना जाता रहा। इसका प्रमाण निश्चित रूप में कल्हण के राजतरंगनी से प्राप्त होता है। किन्तु कश्मीर की कश्मीरीयत आजादी के बाद से क्षरित होती रही।
अच्छा बात किताब की तो होनी ही नहीं थी। बात तो होनी है पढ़ने के प्रति रूचि पैदा करने की इसके लिए आप इस तरह के प्रयोग जरूर कर सकते है , अलग-अलग विधा की, अलग विधा एवं भाषा में लिखी पुस्तक को साथ में पढ़ने का प्रयास करें। कोशिश हो कि इन सूचि में अपनी मात्र भाषा में लिखी एक किताब जरूर हो। जो किताब आपको ज्यादा पसंद आए या जिसके कथानक ज्यादा रोचक लगे उनको निरतंतर समय अंतराल पर कम कम पढ़े। जो कथानक बोझिल हो उसे छोड़ना नहीं चाहते तो जल्दी और अधिक गति से निपटाने का प्रयास किया जाए। कभी कभी एक ही पुस्तक के कुछ सन्दर्भ बहुत रोचक लगने लगते हैं और कभी कभी एक तरह की किताब या एक शैली की किताब पढ़ने से एक तरह के घटना क्रम की पुर्नवृति सन्दर्भ को सुथल बना देती है। इसलिए प्रयास करें की जो भी पढ़े बदल बदल कर पढ़े या एक साथ दो तीन अलग शैली की पुस्तक पढ़े।
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