रौनक अपने मा-बापू का एकलौता लड़का है। बापू की प्राइवेट कम्पनी में नौकरी है। माँ एक हाउस वाइफ हैं उनका काम घर की सफाई से शुरू होकर घर की सफाई में ही खत्म होता है। रौनक वैसे स्वभाव से बड़ा भोला आसानी से बात मान जाने वाला एक साधारण बच्चा है लेकिन है तो बच्चा ही तो अपने इसी बचपने में वो कभी न कभी सामान इधर का उधर छोड़ता रहता है | पढ़ने के लिए किताबे -कांपिया निकली तो बेड पर छोड़ दी , खाना खाया तो थाली फर्श पर ही छोड़ दी | माँ को उसकी इस आदत से चिढ होती है इसलिए कभी-कभी गुस्से में माँ के हाँथ पैर झाड़ू भी चलते रहते हैं | रौनक की मासूमियत इन्ही थप्पड़ और मार से धुलती जा रही है। माँ मारने पीटने के कुछ ही देर बाद बड़ा स्नेह भी करती फिर उसे समझ में नहीं आता कि वो क्या करे। ज्यादातर तो वो अपनी मार को भूल जाता और ऐसा वो इसलिए भी करता क्यूंकि उसे लगता है कि वो ज्यादा देर तक किसी से नाराज नहीं रह सकता है। इस उम्र में भी उसमे ये भाव पता नहीं कैसे आ गए थे। माँ के दुलार और स्नेह से उसकी हंसी निकल जाती थी और वो सब भूल के फिर से साधारण सा व्यवहार करने लगता। बा...